छठा अन्तर्राष्ट्रीय कवितोत्सव नागपुर में लेडी अमृताबाई डागा कालेज की मेजमानी में मनाया जा रहा है। उत्सव की तारीखे हैं- १९ , २० और २१ जनवरी २०११ , इस उत्सव का उद्घाटन करेंगे - कवि, कलाकार एवं कला संयोजक अशोक वाजपेयी जी। इस उत्सव में २५ विदेशी और २५ देशीय कवियों को आमन्त्रित कर रहे हैं। जिनमें नोर्वे, ईरान, चीन, इटली, आइरलैण्ड आदि के कवि प्रमुख हैं। इस उत्सव में पुनः कला, फ़िल्म कविता और वैचारिकता का समन्वय देखने को मिलेगा। कविता फ़ोटोग्राफ़ी को भी शामिल किया जा रहा है, जिसमे नोर्वे की औदविग स्तवांगर की म्युनिसपलिटी की मदद से एक प्रदर्शनी का आयोजन करेंगी। फ़िल्म प्रदर्शन के लिए पुनः साधु और नोर्ला आदि संस्था बाग लेगी। इस बार बासोली ग्रुप के बालकलाकार कविता कलाकारिता का सुन्दर समन्वय करेगे।
.इस उत्सव की संचालिका एवं प्रमुख कार्यकर्ता रति सक्सेना हैं, जो स्वयं कवियित्री हैं, और कई वर्षों से कृत्या को एक वैश्विक मंच बनाने के लिए अथक प्रयत्न कर रही हैं।
.कृत्या की शुरुआत एक वेब पत्रिका के द्वारा हुई थी जिसके पश्चातल में कविता को विश्व पटल में लाने की कोशिश थी। कृत्या पत्रिका के जन्म के तुरन्त बाद जून २००५ में पहला कवितोत्सव मनाया गया, जिसमें कावालम पणिक्कर, दत्तन जैसे नामी गिरामी कलाकारों ने भूमिका निभाई। इस छोटे से उत्सव में भी कविता, नाटक और पेन्टिंग को एक साथ जोड़ा गया। जिस वक्त कावालम पणिकर अय्यप्प जी की कविता सुना रहे थे, उस वक्त दत्तन पेन्टिंग बना रहे थे। उत्सव सफल रहा। दूसरा कवितोत्सव जम्मू में किया गया, जिसमें अग्निशेखर की अहम भूमिका रही। इस उत्सव में डोगरी कविता को रेखांकित करते हुए नुक्कड़ नाटक, कविता पोस्टर आदि का समन्वय किया गया।
.जनवरी २००७ में कृत्या एक संस्था के रूप पंजीकृत की गई जिसका उद्देश्य और अधिक व्यापक हो गया। पहले दो उत्सवों की सफलता और विश्व पटल पर कृत्या की लोकप्रियता ने हमें विश्व कवितोत्सव के लिए प्रेरित किया। तीसरा कवितोत्सव केरल में मनाया गया, जिसमें देश विदेश के अनेक कवियों ने भाग लिया। चौथा कवितोत्सव चण्डीगड़, पंजाब में मनाया गया। और पाँचवा कवितोत्सव ममैसूर में मनाया गया। अगले वर्ष जनवरी में छटा कवितोत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है।
(भोपाल से डॉ. सुधीर सक्सेना की रिपोर्ट )
.इस उत्सव की संचालिका एवं प्रमुख कार्यकर्ता रति सक्सेना हैं, जो स्वयं कवियित्री हैं, और कई वर्षों से कृत्या को एक वैश्विक मंच बनाने के लिए अथक प्रयत्न कर रही हैं।
.कृत्या की शुरुआत एक वेब पत्रिका के द्वारा हुई थी जिसके पश्चातल में कविता को विश्व पटल में लाने की कोशिश थी। कृत्या पत्रिका के जन्म के तुरन्त बाद जून २००५ में पहला कवितोत्सव मनाया गया, जिसमें कावालम पणिक्कर, दत्तन जैसे नामी गिरामी कलाकारों ने भूमिका निभाई। इस छोटे से उत्सव में भी कविता, नाटक और पेन्टिंग को एक साथ जोड़ा गया। जिस वक्त कावालम पणिकर अय्यप्प जी की कविता सुना रहे थे, उस वक्त दत्तन पेन्टिंग बना रहे थे। उत्सव सफल रहा। दूसरा कवितोत्सव जम्मू में किया गया, जिसमें अग्निशेखर की अहम भूमिका रही। इस उत्सव में डोगरी कविता को रेखांकित करते हुए नुक्कड़ नाटक, कविता पोस्टर आदि का समन्वय किया गया।
.जनवरी २००७ में कृत्या एक संस्था के रूप पंजीकृत की गई जिसका उद्देश्य और अधिक व्यापक हो गया। पहले दो उत्सवों की सफलता और विश्व पटल पर कृत्या की लोकप्रियता ने हमें विश्व कवितोत्सव के लिए प्रेरित किया। तीसरा कवितोत्सव केरल में मनाया गया, जिसमें देश विदेश के अनेक कवियों ने भाग लिया। चौथा कवितोत्सव चण्डीगड़, पंजाब में मनाया गया। और पाँचवा कवितोत्सव ममैसूर में मनाया गया। अगले वर्ष जनवरी में छटा कवितोत्सव मनाने की तैयारी की जा रही है।
(भोपाल से डॉ. सुधीर सक्सेना की रिपोर्ट )
0 टिप्पणियाँ:
Post a Comment