महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में दिनांक ०९.१०.२०१० को 'हिंदी ब्लॉगिंग की आचार-संहिता' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं संगोष्ठी का उद्‍घाटन विश्वविद्यालय के श्री विभूति नारायण राय ने किया। कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत कार्यक्रम के संयोजक श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने किया ।



अपने स्वागत भाषण में विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति श्री ए. अरविंदाक्षण ने कहा कि "इस कार्यक्रम में यूजीसी और मानव संसाधन विकास के प्रतिनिधियों/अधिकारियों को भी आमंत्रित करना चाहिए, जिससे वे जान सकें कि ये विश्वविद्यालय केवल साहित्यधर्मिता और उत्सव का ही केंद्र नहीं है, बल्कि यह हिंदी को दुनिया की सबसे नवीनतम तकनीक से भी जोड़ने हेतु प्रयासरत है।"


कुलपति श्री विभूति नारायण राय ने अपने उद्‍घाटन वक्तव्य में कहा कि "इंटरनेट ने राज्यों की बंदिशों को तोड़ दिया है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में यह जो विस्फोट हुआ है, वो इंटरनेट से ही संभव हो सका है। लेकिन हम यहाँ 2 दिनों के लिए इसलिए भी उपस्थित हुए हैं कि हम इस बात पर बहस कर सकें कि इस माध्यम ने हमें एक खास तरह की स्वच्छंदता तो नहीं दे दी है! अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में कहीं हम यह तो नहीं भूल रहे हैं कि हम सारी सीमाएँ तोड़ रहे हैं और दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुँचा रहे हैं। कहीं हम तथ्यों को तोड़-मरोड़कर तो नहीं पेश कर रहे हैं। हमें ऐसा लगता है कि हर एक ब्लॉगर को अपनी लक्ष्मण-रेखा खुद बनानी होगी

"

विषय-प्रवर्तन जोधपुर, राजस्थान से पधारीं प्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लॉगर डॉ. अजित गुप्ता ने किया। अध्यक्षता डॉ. ऋषभ देव शर्मा ने की।
इनके अतिरिक्त मंच पर वरिष्ठ कवि श्री आलोक धन्वा, जनसंचार विभाग-प्रमुख श्री अनिल राय तथा प्रमुख ब्लॉगर और अप्रवासी कवयित्री डॉ। कविता वाचक्नवी आदि उपास्थित थे।

अजित जी को विषय प्रवर्तन के लिये बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि वे ब्लॉगर हैं और त्वरित विचार ही ब्लॉगिग में पेश करती हैं। इसके बाद वे पढ़कर अपनी बात कह रही हैं और विषय परिवर्तन कर रही हैं। उनका कहना है कि अपने ऊपर हमको अपने आप संयम रखना चाहिये।

प्रसिद्द कवियित्री और ब्लोगर सुश्री कविता वाचकनवी ने आचार संहिता की आवश्यकता क्यों है पर खुलकर अपने विचार रखें और कहा कि आने वाले समय में आचार संहिता की आवश्यकतायें बढ़ेंगी।
इस अवसर पर प्रख्यात कवि और संस्कृतिकर्मी श्री आलोक धन्वा ने ब्लॉगिंग को विस्मय कारी विधा बताया।श्री आलोक धन्वा ने ब्लॉगिंग की तुलना रेल के चलन से करते हुये बताया कि शुरुआत में जैसे रेल यात्रा करने से लोग डरते थे लेकिन आज यह हमारी आवश्यकता बन गयी है वैसे ही शायद अभी ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर में इसके प्रति हिचक है लेकिन आने वाले समय में यह जन समुदाय की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सकती है।

उपरोक्त सभी वक्ताओं के साथ-साथ इस अवसर पर फ़ुरसतिया ब्लॉग के संचालक श्री अनूप शुक्ल और भड़ास ब्लॉग के कर्ता-धर्ता श्री यशवंत सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये । ब्लॉगिंग को अद्भुत विधा बताते हुये बताते हुये श्री अनूप शुक्ल ने कहा कि लोग यहां की अच्छाई देखने के बजाय इसकी बुराइयों का रोना रोते हैं। यह अकेला ऐसा माध्यम है जिसमें त्वरित दुतरफ़ा संवाद संभव है। ब्लॉग एक तरह से रसोई गैस की तरह है जिस पर आप हर तरह का पकवान बना सकते हैं। साहित्य,लेखन, फोटो, वीडियो, आडियो हर तरह की विधा में इसमें अपने को अभिव्यक्त कर सकते हैं।


कार्यक्रम के अध्यक्ष श्रीॠषभ देव ने सभी वक्ताओं के विचारों का संक्षिप्त अंश पेश करते हुये अपनी बात कही। उन्होंने नैतिकता, बेनामी ब्लॉगर और अन्य मसलों पर अपने विचार व्यक्त किये। बेनामी ब्लॉगरों के बारे में अपनी राय व्यक्त करते हुये उन्होंने कहा –बेनामी बड़े-बड़े काम करते होंगे मैं उनका अभिनंदन करता हूं। लेकिन इसको नियम नहीं बनाया चाहिये। मेरे परिचय क्षेत्र में कई लोग हैं जिन्होंने अपने सूचनायें झूठी दी हैं। पाखंड हर जगह निंदनीय है। ब्लॉगिंग कोई खिलवाड़ नहीं है। यह नैतिक कर्म है(नित्य कर्म नहीं ) बच्चों बताते हैं कि उनसे कोई पूछता नहीं है। वरिष्ठ और कनिष्ठ न भी माने तो अनुभवी और कम अनुभवी का अन्तर तो रहेगा ही। मेरी चिंता का कारण बच्चे हैं जो झूठी पहचान बनाकर गलत हरकतें कर रहे हैं।

संचार विभाग के श्री अनिल कुमार राय ने धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा -जहां आधुनिक संचार माध्यम समाप्त होते हैं वहां से इसकी शुरुआत होती है। यदि हम टिप्पणियों को माडरेशन करने लगे तो फ़िर यह तो एक संपादक की उपस्थिति ही हुई।


दूसरे सत्र में विश्वविद्यालय द्वारा पंजीकृत प्रतिभागियों को श्री शैलेश भारतवासी तथा श्री संजय विगानी ने प्रशिक्षित किया और उन्हें ब्लोगिंग के गुर सिखाये ।
दोपहर के खाने के बाद चार ग्रुप बना दिये हैं। ये चार ग्रुप ब्लॉगिंग पर चर्चा करके कल अपनी प्रस्तुति करेंगे। इस ग्रुप में देश के विभिन्न शहरों से पधारे ब्लोगरों में प्रमुख परिकल्पना समूह के संचालक-समन्वयक श्री रवीन्द्र प्रभात, तस्लीम के संचालक श्री जाकिर अली रजनीश, नुक्कड़ सहित लगभग आधा दर्जन चर्चित ब्लॉग के स्वामी श्री अविनाश वाचस्पति, भड़ास ब्लॉग के सचालक श्री यसवंत सिंह, कोटा राजस्थान से पधारी श्रीमती अजित गुप्ता, मुम्बई से पधारी श्रीमती अनिता कुमार, कोलकाता से पधारे श्री प्रियंकर पालीवाल, अमेरिका से पधारी सुश्री कविता वाचकनवी, कानपुर से पधारे श्री अनूप शुक्ल,मेरठ से पधारे श्री अशोक कुमार मिश्र, छतीसगढ़ से पधारे डा महेश सिन्हा, संजीत त्रिपाठी, दिल्ली से पधारे श्री जय कुमार झा, इंदौर से पधारी सुश्री गायत्री शर्मा, पानीपत से पधारे श्री विवेक सिंह, उज्जैन से पधारे श्री सुरेश चिपलूनकर ,राजस्थान से पधारे श्री संजय वेगानी,इलाहाबाद से पधारे श्री हर्षवर्द्धन, दिल्ली से पधारे श्री शैलेश भारतवासी और श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी, रचना त्रिपाठी आदि से चार गुप बनाए गए ।

चारो ग्रुप से एक-एक प्रतिनिधियों को ब्लोगिंग एथिक्स पर चर्चा हेतु प्रतिनियुक्त किया गया जिसमें सर्वश्री रवीन्द्र प्रभात, श्री सुरेश चिपलूनकर, श्री हर्षवर्द्धन, श्री अविनाश वाचस्पति, सुश्री गायत्री शर्मा , श्री अशोक कुमार मिश्र आदि थे ।
सायं ०७ बजे से अन्तराष्ट्रीय छात्रावास में श्री आलोक धन्वा की अध्यक्षता में काव्य पाठ हुआ जिसमें लगभग सभी ब्लोगर ने भाग लिया । कविता सत्र के बाद लखनऊ के रहने वाले रवि नागर जी के द्वारा महाप्राण निराला, अज्ञेय, शमशेर आदि की कविताओं की संगीतवद्ध प्रस्तुति की गयी ।

दूसरे दिन सुबह ०७ बजे सभी आगंतुक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सेवा स्थली सेवाग्राम और आचार्य बिनोबा भावे की ताप:स्थलि पवनार आश्रम गए और वहां की शूक्ष्म गतिविधियों का विश्लेषण किया ।


सुबह ०९ बजे आश्रम से वापस आने के पश्चात दूसरे सत्र का आरंभ हुआ । दूसरे सत्र में प्रस्तुति के क्रम में महाजाल ब्लॉग के संचालक श्री सुरेश चिपलूनकर ने कहा कि -"दूसरे के ब्लाग पर टिप्पणी करना सबसे अच्छा तरीका ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिये। तत्थात्मक बातें लिखनी चाहिये। सामग्री स्रोत का लिंक देना चाहिये।



माडरेटर के बारे में उन्होंने बताया कि विरोधी बातों का शालीलना से जबाब देना चाहिये। बहुत गुस्सा आये तो आप साले की जगह भाईसाहब शब्द का इस्तेमाल करते हुये कह सकते हैं- भाई साहब आप बहुत हरामी हैं। "
इसके बाद इलाहाबाद से पधारे श्री हर्षवर्द्धन ने कहा कि "आप जो भी लिखें पूरी बात पक्की जानकारी से लिखे। उन्होंने विस्फ़ोट,मोहल्ला,भड़ास, अर्थकाम।काम का उदाहरण देते हुये बताया इन ब्लाग में उद्यमिता के माडल के रूप में लिया जाना चाहिये। हम समय और आवश्यक्ता के अनुरूप के साथ बदलते हैं। आज यशवंत सिंह उतने ही आक्रामक नहीं हैं जितने शुरुआती दिनों में थे। वे आज ज्यादा समझदार से हुये हैं। यह वित्तीय जरूरत से पैदा यह समझ है। और ब्लागिंग अनामी ब्लागर के बारे में अपनी राय रखते हुये हर्षवर्धन ने कहा कि व्यक्तिगत हिसाब निपटाने के लिये बेमानी ब्लाग लिखना अनुचित है लेकिन जनहित में संस्थागत लड़ाइयां लड़ने के लिये बेनामी की आवश्यकता पड़ सकती है। उनका मानना है कि ब्लाग पर विश्वनीयता बनाये रखे के लिये खबरें तथ्यात्मक होनी चहिये।"

इसके बाद जब लखनऊ से पधारे श्री रवीन्द्र प्रभात ने चिट्ठा संहिता क्यों, किसके लिए और कसे ? विषय पर आधारित अपने वक्तव्य प्ररित किया तो सभागार में उपास्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए । उन्होंने दस विन्दूओं के माध्यम से पूरे ब्लॉग जगत की दिशा, दशा और दृष्टि पर विहंगम दृष्टि डालते हुए कहा कि -"जब कोई परिवार अथवा समाज बड़ा स्वरुप लेने लगता है, तो वहां कुछ अवांछित लोगों की सक्रियता भी बढ़ने लगती है ! ऐसे में समाज के जिम्मेदार लोगों का यह कर्त्तव्य बनता है कि समाज को विसंगतियों और विभेद से दूर रखा जाए ! यही वह कारण है जब हमें ब्लोगिंग इथिक्स पर बात करने की आवश्यकता महसूस हो रही है !कुल मिलाकर कहा जाए तो यही कहा जा सकता है कि हिंदी चिट्ठाकारिता का भविष्य उज्जवल है और आने वाले दिनों में अंग्रेजी की तरह इसका भी एक बड़ा और समृद्ध संसार होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है ! जरूरत केवल इस बात की है सकारात्मक लेखन को बढ़ावा दिया जाए और नकारात्मक लेखन को महत्व न दिया जाए, क्योंकि हिंदी चिट्ठाकारिता में ऐसे लोगों की तादाद अधिक है जो घबराहट और कम आत्मविश्वास की वजह से अपने अनुभवों को साझा करने से डरते हैं कि कहीं कोई हिंदी ब्लॉगजगत का तथाकथित मठाधीश नाराज न हो जाए ! हमें इस ओर विशेष ध्यान देना होगा !

उन्होंने एक सार्गाभित तथ्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि आप रातो रात अपनी पत्नी को नहीं बदल सकते, अपने बच्चों को नहीं बदल सकते , अपने सहयोगियों/सहकर्मियों अथवा मित्रों को नहीं बदल सकते मगर स्वयं को बदल सकते हैं ...कोशिश करके देखिये आप बदलेंगे तो अपने आप चिट्ठाकारों का यह समूह भी बदल जाएगा । "
इस अवसर पर दिल्ली से पधारे श्री अविनाश वाचस्पति ने कहा कि आचार संहिता की बात अगर न भी मानें तो मन की बात माननी चाहिये और ऐसी बातें करने से बचना चाहिये जिससे लोगों को बुरा लग सकता है।


श्री प्रवीण
पाण्डेय ने राजा बेटा की तरह अपना और अपने ब्लॉग का परिचय देते हुये दुविधा जाहिर की वे उन लोगों के सामने अपनी बात कहने आये हैं जिनको पढ़ते हुये उन्होंने ब्लॉगिंग शुरु की। इसे वे अपना सम्मान समझे या यह कि उनको कठिन इम्तहान में खड़ा कर दिया गया है। श्रीप्रवीण ने अपनी ब्लाग यात्रा के बारे में बताया कि टिप्पणियों और वुधवासरीय पोस्ट से शुरु कर के वे अब अपने ब्लाग पर लिखने लगे हैं- न दैन्यम न पलायनम।"
हिंदी ब्लोगिंग विषय की शोध छात्रा और नयी दुनिया दैनिक की उप संपादक सुश्री गायत्री शर्मा ने अपने ग्रुप का प्रस्तुतिकरण करते हुये ब्लागिंग की सामाजिक उपयोगिता पर समूह के विचार पेश किया। उन्होंने सुनामी ब्लॉग का उदाहरण देते हुये ब्लॉग की सामाजिक उपयोगिता के बारे में अपनी बात कही।


अंत में भड़ास ब्लॉग के संचालक श्री यशवंत सिंह ने चिट्ठाकारी में अपने anuकहा कि "हम हिंदी पट्टी के लोग अतियों में जीते हैं। या तो हम अराजक हो जाते हैं या फ़िर बेहद भावुक। अंग्रेजी के लोग तार्किक होते हैं इसलिये वे गाली और गप्प को कम तथ्य को ज्यादा तरजीह देते हैं। हम हिंदी वाले गाली और गप्पों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, तथ्य पर कम। यशवंत ने अपनी यादों का जिक्र करते हुये यह कहा कि शायद पिछले समय में उन्होंने भी एक आम हिंदी ब्लॉगर की तरह अतियों पर रहते हुये तमाम बेवजह बातें और दूसरों को दुख पहुंचाने वाली पोस्टें लिखीं। लेकिन अब समय के साथ हमारी सोच में बदलाव आया है और अब वे इस तरह की दूसरों को दुख पहुंचाने वाली बेवजह पोस्टें लिखना बंद कर दिया है। "
इसके बाद समापन सत्र की शुरुआत हुई । इस सत्र में भोपाल के प्रसिद्दऔर चर्चित ब्लोगर श्री रवि रतलामी के द्वारा "टौरके नवीनतम प्रयोग और ब्लोगिंग के आवश्यक पहलूओं पर टेली कॉन्फ्रेसिंग के जरिये अपनी बात रखी गयी जिसे उपास्थित श्रोताओं के द्वारा काफी सराहा गया ।

पहली बार किसी ब्लोगर संगोष्ठी में क़ानून के जानकारश्री पवन दुग्गल ( दिल्ली हाई कोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट में साईबर लौ के ज्ञाता ) उपस्थित हुए और उन्होंने ब्लोगिंग से संबंधित आचार-संहिता के उल्लंघन पर संविधान की धाराओं तथा उपधाराओं की जानकारी दी ।
इस अवसर पर श्रीमती अजीत गुप्ता की लघुकथा के संग्रह का लोकार्पण श्री विभूति नारायण राय के द्वारा किया गया, तत्पश्चात नए चिट्ठाकारों से मुखातिव होते हुए श्री जाकिर अली रजनीश ने कहा कि नए ब्लोगर को विषय आधारित ब्लॉग के बारे में बताया जाना चाहिए इससे जागरूकता बढ़ेगी । इस अवसर पर विश्वविद्यालय का एक सामूहिक ब्लॉग प्रीति सागर के नेतृत्व में तैयार किया गया जिसका लोकार्पण विश्वविद्यालय के कुलपति ने किया ।

अंत में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री विभूति नारायण राय के द्वारा सभी आगंतुकों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया ।

(वर्धा से शब्द सभागार हेतु सांस्कृतिक प्रतिनिधि की रिपोर्ट के आधार पर )

29 टिप्पणियाँ:

Arvind Mishra said... October 11, 2010 at 7:25 PM

समग्र संतुलित रिपोर्ट -आभार !

mala said... October 11, 2010 at 8:56 PM

बहुत बढ़िया और सार्थक चर्चा,आभार !

मनोज सिंह said... October 11, 2010 at 9:01 PM

सार्थक बातों को सबके सामने रखने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया रविंद्र जी

पूर्णिमा said... October 11, 2010 at 9:02 PM

बहुत बढ़िया रिपोर्ट,आभार !

सुरेश यादव said... October 11, 2010 at 9:12 PM

वर्धा में हिंदी के ब्लाग जगत पर चर्चा हुई जान कर अच्छा लगा बधाई .

गीतेश said... October 11, 2010 at 9:36 PM

बहुत बढ़िया रिपोर्ट रविंद्र जी !

उर्विजा said... October 12, 2010 at 11:00 AM

जानकर अच्छा लगा

Unknown said... October 12, 2010 at 11:10 AM

काफ़ी कुछ प्रस्तुत कर दिया आपने, मुझे अभी समय नहीं मिल पाया है… मैं भी अपनी रिपोर्ट जल्दी ही प्रस्तुत करूंगा… आपका आभार…
(आपके कैमरे में सहेज कर रखे हुए मेरे फ़ोटो कब भेज रहे हैं मुझे?) :)

Dr. Zakir Ali Rajnish said... October 12, 2010 at 12:01 PM

सुंदर प्रस्तुति।

प्रेम जनमेजय said... October 12, 2010 at 12:55 PM

report batati hai ki blogging par bahut hi saarthak aur vishleshnatmak charcha huee hai . isase blogging ko saathak disha aur drishti milne men madad milegi

दिगम्बर नासवा said... October 12, 2010 at 1:03 PM

विस्तार सी लिखी गयी समग्र रिपोर्ट .... ब्लॉगिंग के भविष्य को लेकर सार्थक सोच .....

Sanjeet Tripathi said... October 12, 2010 at 1:21 PM

chaliye aapne to karib karib pura aankho dekha haal pesh kar hi diya.
mai khud nahi likh paya hun abhi tak.
likhta hu jald hi, han aap tasveerein kab bhej rahe hain ;)

अरविन्द श्रीवास्तव said... October 12, 2010 at 1:29 PM

वर्धा सम्मेलन की सचित्र जानकारी के लिए आभार
ब्लोगर्स एकता ने साहित्य, कला एवं सांस्कृतिक जगत के ’मठों’ को नकार दिया है ...आप बेहतरीन काम कर रहे हैं
बधाई व शुभकामनाएं ..!

रेखा श्रीवास्तव said... October 12, 2010 at 4:51 PM

बहुत अच्छी रिपोर्ट पेश की और इस कार्यशाला की वास्तव में आवश्यकता थी और आगे भी रहेगी क्योंकि ब्लोगिंग की आचार संहिता तो बहुत ही जरूरी चीज है. परिवार बड़ा होने के साथ साथ जो कुछ विसंगतियां आने की बात अपने कही है वह सत्य है और ऐसे सदस्यों के लिए कोई तो अंकुश हो. छोटे ही क्यों हमारे बड़े भी कभी कभी ऐसे विवाद खड़े कर देते हैं . इस तरह की कार्यशालाएं और भी जगहों पर आयोजित होनी चाहिए.

Udan Tashtari said... October 12, 2010 at 5:33 PM

बहुत उम्दा रिपोर्ट प्रस्तुत की. आभार.

honesty project democracy said... October 12, 2010 at 6:01 PM

वर्धा ब्लोगर संगोष्ठी हिंदी ब्लोगिंग के विकाश की दिशा में किसी विश्वविध्यालय द्वारा किया गया अनुकरणीय व वंदनीय प्रयास है ,ऐसे आयोजन देश के सभी विश्वविध्यालयों को करना चाहिए ...ऐसे आयोजन पर किया गया खर्च देश और समाज में नैतिकता और पारदर्शिता को बढाने का काम करता है ,काश कोमनवेल्थ की जगह ऐसे आयोजनों पे खर्च करने के प्रति हमारे देश की सरकार गंभीर होती ...?

निर्मला कपिला said... October 13, 2010 at 7:31 PM

विस्तार से दी गयी जानकारी हेतु। धन्यवाद।

अविनाश वाचस्पति said... October 14, 2010 at 3:26 PM

अब मालूम हुआ रवीन्‍द्र जी, किसलिए नाराज हूं मैं। जिसका कहीं राज न हो, वो नाराज न हो तो क्‍या करे

रवीन्द्र प्रभात said... October 14, 2010 at 5:55 PM

आपकी नाराजगी चुभती भी नहीं और मीठा दर्द भी दे भी दे जाती है अविनाश जी, इसीलिए महसूस कराना जरूरी था !

वाणी गीत said... October 15, 2010 at 5:44 AM

विस्तृत रिपोर्ट में एक सार्थक ब्लॉगर मीट के बारे में जानना सुखद रहा ..
आभार ...!

Asha Joglekar said... October 15, 2010 at 9:00 AM

वर्धा की यह ब्लॉगिंग कार्यशाला काफी प्रभावकारी रही । इसकी समग्र रिपोर्ट देकर आपने हम जैसे ब्लॉगरों का उपकार किया है ।

विजय तिवारी " किसलय " said... October 16, 2010 at 12:26 AM

विस्तृत रिपोर्ट के लिए आभार स्वीकारें.
सच आलेख से स्पष्ट है कि विशाल कार्यक्रम था.
जबलपुर प्रवास के दौरान श्री सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी जी
जब वर्धा जा रहे थे तो लग ही रहा था कि वहाँ ब्लागिंग पर कुछ अविस्मरनीय जरूर होगा
मुझे भी उम्मीद थी कि त्रिपाठी जी मुझे और महेंद्र मिश्र को अवश्य बुलायेंगे.
मुझे दुःख इस बात का है कि मैं एक बहुत ही अच्छे कार्यक्रम से वंचित रह गया.
सभी आयोजकों को सफल कार्यक्रम हेतु बधाई.
- डॉ. विजय तिवारी " किसलय " जबलपुर.

Priti Krishna said... October 25, 2010 at 12:36 AM

Priti sagar..That fraud lady will coordinate the blogging in wardha..who has been declared Literary writer without any creative work..who has got prepared fake icard of non existing employee..surprising

Priti Krishna said... November 16, 2010 at 6:01 PM

Lagta hai Mahatma Gandhi Hindi Vishwavidyalaya men saare moorkh wahan ka blog chala rahe hain . Shukrawari ki ek 15 November ki report Priti Sagar ne post ki hai . Report is not in Unicode and thus not readable on Net …Fraud Moderator Priti Sagar Technically bhi zero hain . Any one can check…aur sabse bada turra ye ki Siddharth Shankar Tripathi ne us report ko padh bhi liya aur apna comment bhi post kar diya…Ab tripathi se koi poonche ki bhai jab report online readable hi nahin hai to tune kahan se padh li aur apna comment bhi de diya…ye nikammepan ke tamashe kewal Mahatma Gandhi Hindi Vishwavidyalaya, Wardha mein hi possible hain…. Besharmi ki bhi had hai….Lagta hai is university mein har shakh par ullu baitha hai….Yahan to kuen mein hi bhang padi hai…sab ke sab nikamme…

Priti Krishna said... November 17, 2010 at 5:25 PM

Praveen Pandey has made a comment on the blog of Mahatma Gandhi Hindi University , Wardha on quality control in education...He has correctly said that a lot is to be done in education khas taur per MGAHV, Wardha Jaisi University mein Jahan ka Publication Incharge Devnagri mein 'Web site' tak sahi nahin likh sakta hai..jahan University ke Teachers non exhisting employees ke fake ICard banwa kar us per sim khareed kar use karte hain aur CBI aur Vigilance mein case jaane ke baad us SIM ko apne naam per transfer karwa lete hain...Jahan ke teachers bina kisi literary work ke University ki web site per literary Writer declare kar diye jaate hain..Jahan ke blog ki moderator English padh aur likh na paane ke bawzood english ke post per comment kar deti hain...jahan ki moderator ko basic technical samajh tak nahi hai aur wo University ke blog per jo post bhejti hain wo fonts ki compatibility na hone ke kaaran readable hi nain hai aur sabse bada Ttamasha Siddharth Shankar Tripathi Jaise log karte hain jo aisi non readable posts per apne comment tak post kar dete hain...sach mein Sudhar to Mahatma Handhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya , Wardha mein hona hai jahan ke teachers ko ayyashi chod kar bhavishya mein aisa kaam na karne ka sankalp lena hai jisse university per CBI aur Vigilance enquiry ka future mein koi dhabba na lage...Sach mein Praveen Pandey ji..U R Correct.... बहुत कुछ कर देने की आवश्यकता है।

Priti Krishna said... November 18, 2010 at 9:51 PM

MAHATMA Gandhi Hindi University , Wardha ke blog per wahan ke teacher Ashok nath Tripathi nein 16 november ki post per ek comment kiya hai …Tripathi ji padhe likhe aadmi hain ..Wo website bhi shuddha likh lete hain..unhone shayad university ke kisi non exhisting employee ki fake id bhi nahin banwai hai..aur unhone program mein present na rahne ke karan pogram ke baare mein koi comment nahin kia..I respect his honesty ..yahan to non readable post per bhi log apne comment de dete hain...really he is honest...Unhen salaam….

Priti Krishna said... November 28, 2010 at 8:23 PM

There is an article on the blog of Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi Vishwavidyalaya , Wardha ‘ Hindi-Vishwa’ of RajKishore entitled ज्योतिबा फुले का रास्ता ..Article ends with the line.....दलित समाज में भी अब दहेज प्रथा और स्त्रियों पर पारिवारिक नियंत्रण की बुराई शुरू हो गई है…. Ab Rajkishore ji se koi poonche ki kya Rajkishore Chahte hai ki dalit striyan Parivatik Niyantran se Mukt ho kar Sex aur enjoyment ke liye freely available hoon jaisa pahle hota tha..Kya Rajkishore Wardha mein dalit Callgirls ki factory chalana chahte hain… besharmi ki had hai … really he is mentally sick and frustrated ……V N Rai Ke Chinal Culture Ki Jai Ho !!!

Priti Krishna said... December 5, 2010 at 1:19 PM

आज महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा के हिन्दी-विश्व ब्लॉग ‘हिन्दी-विश्व’ पर ‘तथाकथित विचारक’ राजकिशोर का एक लेख आया है...क्या पवित्र है क्या अपवित्र ....राजकिशोर लिखते हैं....
अगर सार्वजनिक संस्थाएं मैली हो चुकी हैं या वहां पुण्य के बदले पाप होता है, तो सिर्फ इससे इन संस्थाओं की मूल पवित्रता कैसे नष्ट हो सकती है? जब हम इन्हें अपवित्र मानने लगते हैं, तब इस बात की संभावना ही खत्म हो जाती है कि कभी इनका उद्धार हो सकता है .....
क्या राजकिशोर जैसे लेखक को इतनी जानकारी नहीं है कि पवित्रता और अपवित्रता आस्था से जुड़ी होती है और नितांत व्यक्तिगत होती है. क्या राजकिशोर आस्था के नाम पर पेशाब मिला हुआ गंगा जल पी लेंगे.. राजकिशोर जी ! नैतिकता के बारे में प्रवचन देने से पहले खुद नैतिक बनिए तभी आप समाज में नैतिकता के बारे में प्रवचन देने के अधिकारी हैं ईमानदारी को किसी तरह के सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं पड़ती. आप लगातार किसी की आस्था और विश्वास पर चोट करते रहेंगे तो आपको कोई कैसे और कब तक स्वीकार करेगा ......महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा को अयोग्य, अक्षम, निकम्मे, फ्रॉड और भ्रष्ट लोग चला रहे हैं....मुश्किल यह है कि अपवित्र ही सबसे ज़्यादा पवित्रता की बकवास करता है.......
प्रीति कृष्ण

 
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