लखनऊ (११.०९.२०११) भारतीय जन नाट्य संघ की उत्तर प्रदेश इकाई और लोकसंघर्ष पत्रिका के तत्वावधान में लखनऊ के कैसरबाग स्थित जयशंकर प्रसाद सभागार में सहारा इंडिया परिवार के अधिशासी निदेशक श्री डी. के. श्रीवास्तव के कर कमलों द्वारा हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक श्री रवीन्द्र प्रभात की सद्य: प्रकाशित पुस्तक ‘हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास “ का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक श्री मुद्रा राक्षस, दैनिक जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक डा. सुभाष राय, वरिष्ठ साहित्यकार श्री विरेन्द्र यादव, श्री शकील सिद्दीकी, रंगकर्मी राकेश जी,पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री महेश चन्द्र द्विवेदी, साहित्यकार डा. गिरिराज शरण अग्रवाल आदि उपस्थित थे ।
दीप प्रज्वलित कर उदघाटन करते हुए श्री डी. के. श्रीवास्तव,श्री सुभाष राय और श्री शकील सिद्दीकी, साथ में हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक और पुस्तक के लेखक श्री रवीन्द्र प्रभातइस वृहद् कार्यक्रम का उदघाटन करते हुए श्री डी. के. श्रीवास्तव ने कहा कि मुझे इस बात का दु:ख होता है कि हमारे बच्चे अन्य क्षेत्रों में टॉप करते हैं किन्तु हिंदी में पीछे रह जाते हैं । यह हमारे लिए दु:ख का विषय है कि हिंदी को जो स्थान मिलनी चाहिए वह अभी तक नही मिल पाया है ।मैं रवीन्द्र प्रभात जी को व्यक्तिगत रूप से बधाई देना चाहूंगा कि उन्ह्योने पहली बार ब्लॉगिंग का इतिहास लिखा है. इससे अभिव्यक्ति की इस नयी विधा को आगे बढ़ाने तथा हिंदी भाषा के व्यापक प्रसार में मदद मिलेगी ।

दीप प्रज्वलित कर उदघाटन करते हुए श्री डी. के. श्रीवास्तव,श्री सुभाष राय और श्री शकील सिद्दीकी, साथ में हिंदी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक और पुस्तक के लेखक श्री रवीन्द्र प्रभात
दैनिक जनसंदेश टाइम्स के मुख्य संपादक डा. सुभाष राय ने इस अवसर पर कहा कि हिंदी विश्व की एक मात्र ऐसी लिपि है, जो बोली जाती,वही लिखी जाती है और वही पढ़ी भी जाती है ।यह सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है। हिंदी रोजगार की भाषा अगर नही है तो इसके लिए काफी हदतक हम स्वयं जिम्मेदार हैं। क्योंकि हमने कभी इसे आत्मसम्मान का विषय नही बनाया। न्यू मीडिया को गलत होने से बचाने के लिए एक मिशन की आवश्यकता होगी ।ब्लॉग जगत निरंकुश होते मीडिया को भी सामने लाने की कोशिश कर रहा है, जो शुभ संकेत का द्योतक है. लेकिन यह स्वयं निरंकुश न हो इसके लिए भी ब्लॉग जगत को सचेत रहना होगा ।
प्रख्यात रंगकर्मी श्री राकेश ने कहा कि न्यू मीडिया नए-नए अर्थ भी गढ़ रहा है. कला केवल विचारों का उत्सव है यदि इस माध्यम में भी विस्तार हो निश्चित रूप से यह बड़ी ताकत बनाकर उभरेगी, ऐसा मेरा विश्वास है। वरिष्ठ आलोचक श्री विरेन्द्र यादव ने कहा कि जब हम न्यू मीडिया की बात कर रहे हैं तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हम जिस समाज की बात कर रहे हैं जहां संसाधनों का एक असंतुलित दायरा है पर विचारों काफी द्वंद्व है. यह मीडिया एक संवाद के माध्यम के रूप में हमारे सामने उपलब्ध है लेकिन यह भी देखने में आता है कि जब इसपर गंभीर विचारों को रखा जाता है तो पाठक कम हो जाते हैं यह एक बड़ी समस्या है. रवीन्द्र जी ने एक सार्थक कार्य किया है और मैं इनको धन्यवाद देता हूँ ।
पवार पोईन्ट प्रजंटेशन के माध्यम से हिंदी ब्लॉगिंग का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत किया उर्विजा और उर्वशी नेइस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री शकील सिद्दीकी नेकहा कि न्यू मीडिया ने जहां कहने की छटपटाहट को स्वर दिया है वहीँ अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को आयामित भी किया है । वहीँ साहित्यकार डा. गिरिराज शरण अग्रवाल ने कहा कि अभिव्यक्ति के इस नए माध्यम को सहेजने में और एक लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करे साहित्यकार और समाचार पत्रों के संपादक. पुस्तक के लेखक श्री रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि यह एक ऐसा माध्यम है जहां न तो प्रकाशक के नखरे हैं और न संपादक की कैंची यहाँ चलती है. सही मायनों में अभिव्यक्ति का लोकतंत्र यहीं है। इसमें कोई संदेह नही कि आने वाला समय हिंदी ब्लॉगिंग का ही है।सभा के प्रारंभ में पावर पोईन्ट प्रजेंटेशन के माध्यम से उर्विजा और उर्वशी ने हिंदी ब्लॉगिंग के इतिहास का संक्षिप्त प्रस्तुतीकरण करके सभी का मन मोह लिया ।

पवार पोईन्ट प्रजंटेशन के माध्यम से हिंदी ब्लॉगिंग का संक्षिप्त इतिहास प्रस्तुत किया उर्विजा और उर्वशी ने
12 टिप्पणियाँ:
भाई रविन्द्र जी,
कार्यक्रम में शामिल तो नहीं हो सका,लेकिन कार्यक्रम की रिपोर्ट तो पढने को मिल ही गयी.पुस्तक के लोकार्पण के लिए शुभकामनायें.अब तो पुस्तक का इंतजार हॆ.
बहुत-बहुत बधाई
सफल आयोजन के लिए बहुत बहुत बधाई।
इस सफल आयोजन के लिए और पुस्तक के लोकार्पण के उपलक्ष्य में आपको बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
bahut bahut badhai sir!!
यशस्वी लेखन की एक और उपलब्धि के लिए बहुत बहुत बधाई...
जय हिंद...
बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
पुस्तक के लोकार्पण के लिए शुभकामनायें !
बहुत-बहुत बधाई !
सफल आयोजन के लिए बहुत बहुत बधाई।
बहुत बहुत बधाईयाँ।
बहुत बहुत बधाईयाँ।
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