श्रीडूँगरगढ़ । राजस्थान के समकालीन हिन्दी कवियों की कविताओं को रंग तूलिका के माध्यम से अभिव्यक्ति देती राज बिजारणिया की कविता पोस्टर प्रदर्शनी ‘वितान’ को देख कर दर्शक अभिभूत हो गये । अवसर था राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर एवं राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति, श्रीडूँगरगढ द्वारा आयोजित प्रांतीय लेखक सम्मेलन का और स्थान था ओसवाल पंचायत भवन । श्रीडूँगरगढ महाविद्यालय की हिन्दी व्याख्याता अंजली पारीक और चूरू के युवा रचनाकार दुलाराम सहारण द्वारा लोकार्पित इस प्रदर्शनी में प्रदेश के लगभग 25 कवियों की कविताओं को पैंटिग्स के साथ आकारित कर प्रदर्शित किया गया ।
.एक शब्दशिल्पी के अंतरंग को, उसके मनोभावों को एक चित्रकार किस रूप में देखता, रचता और अभिव्यक्त करता है, यही आधार फलक लेकर लूणकरणसर के युवा कवि राजूराम बिजारणिया ने इस प्रदर्शनी के ‘इवेंट’ का ताना-बाना बुना । प्रदर्शित पैंटिग्स की जीवंतता से गहरे तक प्रभावित दूरदर्शन जयपुर के निदेशक हरीश करमचंदानी ने इसे एक बेहद ख़ूबसूरत प्रयास बताते हुए बिजारणिया के कला कर्म की प्रशंसा की । सुप्रसिद्ध समालोचक डॉ. हितेश व्यास ने सम्बन्धित कविताओं को संप्रेषणीय बनाने में समर्थ प्रयास बताया । युवा साहित्यकार रवि पुरोहित ने इसे देह की धड़कन की संज्ञा दी ।
.कविता पोस्टर प्रदर्शनी में श्री हरीश भादानी की ‘रेत है रेत बिफर जाएगी’, कन्हैयालाल सेठिया की ‘निराकार’, नंदकिशोर आचार्य की ‘हरे में झरता है’, प्रीता भार्गव की ‘माँ’, मोहम्मद सद्दीक की ‘आदमी है नाम’, डॉ. कविता किरण की ‘कब तलक काबा’ओ काशी जायेगा’, चन्द्रकांत देवताले ‘आकाश की जात बता भईया’, श्याम महर्षि की ‘रोटी’, रवि पुरोहित की आँखें: परिणति’, डॉ. मदनगोपाल लढा की ‘छोरी’, ओम पुरोहित ‘कागद’ की ‘काळीबंगा’, डॉ. मदन सैनी की ‘जंबूरे’, प्रमोद शर्मा की ‘घुड़सवार है मृत्यु’, सत्यनारायण सोनी की ‘सूरज नहीं देखा’, विनोद स्वामी की ‘कुछ तो सोच’, डॉ. कृष्णा रावत की ‘प्यार और आस’, मदन धतरवाल की ‘रम्म से जो प्यार करे’ सहित कई समकालीन हिन्दी कवियों की कविताओं को सचित्र प्रदर्शित किया गया ।
(बीकानेर से रवि पुरोहित की रपट)
2 टिप्पणियाँ:
कविताओं की प्रदर्शनी, कुछ नया सा लगा.
कविता और चित्रों की जुगलबंदी बहुत अच्छी लगती है।
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