दिल्ली विश्वविद्यालय के डीन और वरिष्ठ आलोचक डा सुधीश पचौरी ने ब्रिटेन में हिंदी के प्रोफेसर नियुक्त करने और चेयर स्थापित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हिंदी शिक्षण के कार्य में लगे शिक्षकों के उपयुक्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया कि जहां छोटे-छोटे देशों में हिंदी के प्रोफेसर नियुक्त किए गए हैं वहीं ब्रिटेन जैसे देश में जहां लाखों की संख्या में भारतीय हैं और हजारों हिंदी सीखने वाले विद्यार्थी हैं, ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। वे ब्रिटेन में आयोजित चौथे अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन मे बोल रहे थे। इस अवसर पर बोलते हुए डा अशोक चक्रधर ने अध्यापक प्रशिक्षण पर बल दिया। इस सम्मेलन का आयोजन यू.के. हिंदी समिति द्वारा नेहरू सेंटर, भारतीय उच्चायोग और आई.सी.सी.आर के तत्वावधान में किया गया था। इस सम्मेलन का आयोजन यू.के.हिंदी समिति के 20 वर्ष और यूरोप के विद्यार्थियों में अत्यंत लोकप्रिय हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता के 10 वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया था। यू.के.हिंदी समिति के अध्य़क्ष डा पदमेश गुप्ता इस सम्मेलन के संयोजक थे।
सम्मेलन का उद्घाटन बर्मिघम में भारत के कोंसुल जनरल गुरू राज राव द्वारा 11 मार्च को किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता मास्को स्टेट विश्वविद्यालय में इस्टीट्यूट आफ एशियन और अफ्रीकन स्टडीज के अध्य़क्ष बोरिस ए जाकरियान ने किया। इस अवसर पर आई.सी.सी.आर के अधिकारी अजय गुप्ता ने आई.सी.सी.आर की ओर से हिदी के प्रचार-प्रसार में हर तरह के सहयोग का आश्वासन दिया। बर्मिंघम मे इस सम्मेलन की आयोजक कृति यू.के थी। विभिन्न शैक्षणिक सत्रों और कवि सम्मेलनों का आयोजन कला निकेतन हिंदी स्कूल, नाटिंघम द्वारा शनिवार, 12 मार्च को और नेहरू सेंटर , लंदन द्वारा 13 मार्च को किया गया।
सम्मेलन में केन्द्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष डा अशोक चक्रधर और बालेंदु दधीच द्वारा हिंदी शिक्षण में नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर ज़ोर दिया गया। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के साफ्टवेयरों की उपलब्धता पर भी बल दिया गया। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ लेखक तेजेन्द्र शर्मा ने की।
सम्मेलन के संयोजक डा पद्मेश गुप्त ने कहा कि हिंदी को अगली पीढी तक ले जाने के लिए हिंदी शिक्षण पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। समापन समारोह में कार्यक्रम की संरक्षक और मार्गदर्शक नेहरू केन्द्र की निदेशक मोनिका मोहता ने इतने सार्थक सम्मेलन के आयोजन के लिए वातायन, यू.के हिंदी समिति की दिव्या माथुर, कृति यू.के के डा के.के.श्रीवास्तव और तितिक्षा व कला निकेतन स्कूल , नाटिंघम की सुदर्शन मोहिन्द्रा और जया वर्मा को बधाई दी और कहा कि ब्रिटेन में भारतीय भाषाओँ और संस्कृति के प्रचार- प्रसार में ये संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं।
ब्रिटेन के कई अध्यापकों डा अनिता अब्बी , भाषाविद् , सुदर्शन मोहिन्द्रा एम.बी.ई, वेद मोहला , एम.बी.ई, सुरेखा चोफला, शशि वालिया और देविना ऋषि ने विदेशों में हिंदी के अध्यापन मे आने वाली समस्याओं पर गहन चर्चा की।
कई अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति जैसे भारतीय उच्चायोग में हिंदी और संस्कृति अधिकारी आनंद कुमार, भारतीय उच्चायोग की पद्मजा, डा निखिल कौशिक, शिखा वार्ष्णेय, पाल निश्चल, बकुल कुमार आदि ने कार्यक्रम की भागीदारी की।
सायंकाल को कवि सम्मेलनों का आयोजन किया गया जिनमें अशोक चक्रधर ने अपनी कविताओं का पाठ किया। काका हाथरसी की पुत्री और कवियत्री बागेश्री चक्रधर ने भी अपनी रचनाओँ का पाठ किया। गगनांचल के अतिथि संपादक डा प्रेम जनमेजय ने इस अवसर पर अपनी व्यंग्य रचनाओं को पढा । प्रवासी दुनिया .काम इस कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर था।
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