इंटरनेट से हो रहा है हिन्दी का विस्तार

बैंकाक । साहित्य, संस्कृति और भाषा की अंतरराष्ट्रीय वेब-पत्रिका सृजनगाथा डॉट कॉम तथा छत्तीसगढ़ राज्य की बहुआयामी साहित्यिक संस्था सृजन-सम्मान का यह वैश्विक अभियान हिन्दी और साहित्य के लिए प्रतिबद्ध अन्य संस्थानों के लिए भी अनुकरणीय है । लगातार 4 वर्षों तक विदेश में जाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी साहित्य के लिए काम करना निश्चित ही घर-फूंक तमाशा जैसा है किन्तु इन संगठनों ने इसे सच साबित कर दिखाया है । - यह कहना था नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार शर्मा का । वे थाईलैंड, पटाया में आयोजित चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन के अध्यक्ष मंडल के रूप में उपस्थित थे । अध्यक्ष मंडल के दूसरे सदस्य वरिष्ठ कथाकार श्रीमती संतोष श्रीवास्तव (मुंबई) ने कहा कि रायपुर जैसे छोटी जगह से यह पहल महत्वपूर्ण है । उन्होंने फ्रांस, जर्मनी, रूस आदि देशों में हिन्दी के विस्तार के लिए हिन्दी सिनेमा की भूमिका को विस्तार से रखा । आलोचक डॉ. प्रेम दुबे ने कहा कि हिन्दी को अंतरराष्ट्रीय बनाने में इंटरनेट की भूमिका अहम् है । यद्यपि हिन्दी के साहित्यकार निरंतर अपनी भाषिक संस्कृति को इंटरनेट के माध्यम से विस्तारित कर रहे हैं किन्तु अभी मुख्यधारा के साहित्य को नेट पर रखा जाना शेष है । इसके अलावा कई वक्ताओं ने वैश्विक हिन्दी की दिशा पर अपनी बात रखी । समारोह के प्रारंभ में आयोजन के संयोजक और सृजनगाथा डॉट कॉम के संपादक जयप्रकाश मानस ने स्वागत भाषण देते हुए विस्तार से अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों के बारे में बताया । इस आयोजन को थाईलैंड में आयोजित करने के मूल उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए वेब पत्रिका सृजनगाथा के संपादक जय प्रकाश मानस ने बताया कि सांस्कृतिक दृष्टि से भारत और थाईलैंड में कई समानताएं हैं । भारत से निकल कर बौद्ध धर्म जहां थाई संस्कृति में विलीन हो गया वहीं भारतीय नृत्य शैलियों का यहाँ व्यापक प्रसार हुआ । बौद्ध यहां का मुख्य धर्म है। गेरुए वस्त्र पहने बौद्ध भिक्षु और सोने, संगमरमर व पत्थर से बने बुद्ध यहां आमतौर पर देखे जा सकते हैं। यहां मंदिर में जाने से पहले अपने कपड़ों का विशेष ध्यान रखा जाता है । इन जगहों पर छोटे कपड़े पहन कर आना मना है। थाईलैंड के शास्त्रीय संगीत चीनी, जापानी, भारतीय ओर इंडोनेशिया के संगीत के बहुत समीप जान पड़ता है। यहां बहुत की नृत्य शैलियां हैं जो नाटक से जुड़ी हुई हैं। इनमें रामायण का महत्वपूर्ण स्थान है। इन कार्यक्रमों में भारी परिधानों और मुखोटों का प्रयोग किया जाता है। यहाँ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मलेन आयोजित करने के पीछे पवित्र उद्देश्य यही था कि हिंदी संस्कृति को थाई संस्कृति के करीब लाना और हिंदी भाषा को यहाँ के वैश्विक वातावरण में प्रतिष्ठापित करना ।


कार्यक्रम का संचालन साहित्य वैभव के संपादक डॉ. सुधीर शर्मा ने किया । इस मौके पर स्वर्णभूमि एअरपोर्ट के स्टेशन मास्टर व हिन्दी सेवी श्री संजय सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे ।

सुधीर सक्सेना, गीताश्री और संदीप तिवारी को सृजनगाथा सम्मान

दूसरे सत्र में वरिष्ठ कवि व 'दुनिया इन दिनों' के प्रधान संपादक डॉ. सुधीर सक्सेना, भोपाल को उनकी कविता संग्रह 'रात जब चंद्रमा बजाता है' तथा स्त्री विमर्श के लिए प्रतिबद्ध लेखिका व आउटलुक, हिन्दी की सहायक संपादिका, गीताश्री को उनकी संपादित कृति 'नागपाश में स्त्री' तथा युवा पत्रकार, दैनिक भारत भास्कर (रायपुर) के संपादक श्री संदीप तिवारी 'राज' की पहली कृति 'ये आईना मुझे बूढ़ा नहीं होने देता' के लिए वर्ष 2011 के सृजनगाथा सम्मान (www.srijangatha.com ) से नवाजा गया । यह निर्णय देश के चुनिंदे 1000 युवा साहित्यकार-पाठकों की राय पर निर्धारित किया गया था। सम्मान स्वरूप उन्हें 11-11 हजार का चेक, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह और साहित्यिक कृतियां भेंट की गईं ।

विदेश में पहली बार ब्लॉगर हुए सम्मानित

इसके अलावा पहली बार देश से बाहर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित किसी अन्तराष्ट्रीय सम्मलेन में हिन्दी के चार ब्लॉगर एकसाथ सम्मानित हुए, जिसमें रवीन्द्र प्रभात , नुक्कड़ ब्लॉग की कथा लेखिका अलका सैनी (चंडीगढ़)और उडिया भाषा के अनुवादक ब्लॉगर दिनेश कुमार माली प्रमुख थे । लघु पत्रकारिता के लिए आधारशिला के संपादक दिवाकर भट्ट (देहरादून), ग़ज़लगो सुमीता केशवा (मुंबई) तथा पत्रकारिता के लिए बीपीएन टाईम्स के संपादक ताहिर हैदरी (रायपुर), पीपुल्स समाचार दैनिक के युवा पत्रकार ब्रजेश शुक्ला (जबलुपुर) को भी सृजनश्री सम्मान से अलंकृत किया गया ।

कृतियों का विमोचन

इस अवसर पर हिन्दी साहित्य को ब्लॉगिंग से जोड़ने वाली पत्रिका वटवृक्ष के तृतीय अंक का लोकार्पण भी हुआइसके बाद दिनेश कुमार माली की पुस्तक बंद दरवाजा (साहित्य अकादमी से सम्मानित ओडिया लेखिका सरोजिनी साहू के कथा संग्रह का हिन्दी अनुवाद), चित्रकार व कवि डॉ.जे.एस.बी.नायडू की दो किताबों का भी विमोचन हुआजिसमें जाने कितने रंग प्रमुख है ।

कविता पाठ

अंतिम सत्र कविता पाठ की अध्यक्षता की वरिष्ठ कवि डॉ. सुधीर सक्सेना ने की, विशिष्ट अतिथि थे आधार शिला के संपादक डॉ. दिवाकर भट्ट और पांडुलिपि के संपादक जयप्रकाश मानस । इस सत्र में डॉ. जे.एस.बी.नायडू, दिनेश माली, सुमीता केशवा, सीमा श्रीवास्तव, लतिका भावे, युक्ता राजश्री झा, रवीन्द्र प्रभात, डॉ. सुधीर शर्मा, डॉ. दीपक बी. जोशी, संदीप शर्मा आदि ने कविता पाठ किया ।

पेंटिग प्रदर्शनी
चौंथे अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन की खास विशेषता रही दो चित्रकारों की पेंटिग्स की खुली प्रदर्शनी । ये दो कलाकार थे डॉ. जे.एस.बी.नायडू(रायपुर) तथा नागपुर विश्वविद्यालय के फाईन आर्ट संकाय के विभागाध्यक्ष तथा वरिष्ठ चित्रकार डॉ. दीपक बी. जोशी । श्री नायडू के चित्रों की प्रदर्शनी बैंकाक आर्ट गैलरी में भी प्रदर्शित की गई जिसे उल्लेखनीय प्रतिसाद मिला । इस तरह प्रकृति की अनुपम छटा से ओतप्रोत दक्षिण पूर्वी एशिया का एक महत्वपूर्ण देश थाईलैंड की राजधानी और सांस्कृतिक राजधानी क्रमश: बैंकॉक और पटाया में दिनांक 16 से 21 दिसम्बरतक चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन हुआ । यह आयोजन बैकाक स्थित फुरामा सिलोम तथा पटाया स्थित मंत्रपुरा रिशोर्ट के सभागार में आयोजित हुआ जिसमें बड़ी संख्या में हिंदीप्रेमियों ने प्रतिभागिता रेखांकित की ।

पांचवा अंतरराष्ट्रीय आयोजन रुस में
इस आयोजन में वैभव प्रकाशन का उल्लेखनीय सहयोग रहा । सृजन-सम्मान की ओर से महासचिव जयप्रकाश मानस और डॉ. सुधीर सक्सेना ने घोषणा की कि अगला आयोजन 24जून से 1 जुलाई तक रुस के मास्को, ताशकंद, समरकंद और उज्बेकिस्तान में होगा जिसमें बड़ी संख्या में देश और विदेश के साहित्यकार, रंगकर्मी, हिन्दी-अध्यापक, ब्लॉगर्स तथा पत्रकार भाग लेंगे ।

उल्लेखनीय है कि साहित्य, संस्कृति और भाषा के लिए प्रतिबद्ध साहित्यिक संस्था (वेब पोर्टल )सृजन गाथा डॉट कॉम पिछले पाँच वर्षों से ऐसी युवा विभूतियों को सम्मानित कर रही है जो कला, साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं । इसके अलावा वह तीन अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलनों का संयोजन भी कर चुकी है जिसका पिछला आयोजन मॉरीशस में किया गया था । अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी और हिंदी-संस्कृति को प्रतिष्ठित करने के लिए संस्था द्वारा, किये जा रहे प्रयासों और पहलों के अनुक्रम में इस बार 15से 21 दिसंबर तक थाईलैंड में चतुर्थ अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में हिंदी के आधिकारिक विद्वान,अध्यापक, लेखक, भाषाविद्, पत्रकार, टेक्नोक्रेट एवं अनेक हिंदी प्रचारक के रूप में डॉ. डी.के.जोशी, डॉ. कल्पना टेंभुलकर, डॉ. सुखदेव,अखिल सिंह, डॉ. सत्यविश्वास, क्रियेटिव्ह टेव्हल्स के डायरेक्टर विक्की मल्होत्रा, सन्नी मलहोत्रा सहित 50 से अधिक भारतीय तथा थाईलैंड के संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया तथा बैंकाक, पटाया, कोहलर्न आईलैंड, कोरल आईलैंड, थाई कल्चरल शो, गोल्डन बुद्ध मंदिर, विश्व की सबसे बड़ी जैम गैलरी, सफारी वर्ल्ड आदि स्थलों का सांस्कृतिक अध्ययन और पर्यटन के अवसर का भी लाभ उठाया ।

(बैंकाक से रवीन्द्र प्रभात की रपट)

3 टिप्पणियाँ:

अविनाश वाचस्पति said... December 24, 2011 at 10:35 PM

बहुत बढि़या विदेशों में धूम मचाने के लिए मानस जी का आभार।

मनोज पाण्डेय said... December 27, 2011 at 6:33 PM

अनेकानेक बधाईयाँ .

 
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