भारतीय महा
वाणिज्य दूतावास हो ची मिन्ह सिटी वियतनाम, भारतीय व्यापार कक्ष वियतनाम और प्रमुख भारतीय संस्था
परिकल्पना के संयुक्त तत्वावधान में विगत 26 और 27 मई 2019 को हो ची मिन्ह सिटी वियतनाम के स्थानीय क्लब हाउस एवं
एलीओस सभागार में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव में लखनऊ के वरिष्ठ
साहित्यकार और हिन्दी के मुख्य ब्लॉग विश्लेषक डॉ. रवीन्द्र प्रभात के नेतृत्व में
55 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वियतनाम में
भारत के कार्यवाहक प्रधान कौन्सुल श्री जे. सी. कंदपाल ने की और संचालन किया पी पी
एस टू कौन्सुल जनरल एवं कम्यूनिटी वेलफेयर ऑफिसर, भारत का प्रधान कौंसुलावास, हो ची मिन्ह सिटी, वियतनाम, श्री आर. एस. चैहान ने। साथ ही मंचासीन
रहे वियतनाम की प्रमुख मीडिया कर्मी सुश्री ट्रिन्ह आनह, भारतीय व्यापार कक्ष, हो ची मिन्ह सिटी वियतनाम के उपाध्यक्ष श्री मुनीश गुप्ता, राष्ट्रीय विश्वविद्यालय वियतनाम के
हिन्दी विभागाध्यक्ष,श्री मती साधना सक्सेना, ऑस्ट्रेलिया से आए चिकित्सक एवं समाजसेवी, डॉ. राहुल
गुप्ता, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मिथिलेश दीक्षित, डॉ चम्पा श्रीवास्तव एवं लखनऊ से प्रकाशित हिन्दी मासिक परिकल्पना समय के प्रधान संपादक डॉ.
रवीन्द्र प्रभात।
हिन्दी भाषा की विविधता, सौन्दर्य, डिजिटल और अंतराष्ट्रीय स्वरुप को विगत 10 वर्षों से वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठापित करती आ रही लखनऊ की संस्था परिकल्पना के द्वारा नयी दिल्ली, लखनऊ, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, इन्डोनेशिया और मॉरीशस के बाद इस वर्ष
11 वां अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव 26 मई से 2 जून तक वियतनाम और
कंबोडिया के विभिन्न शहरों क्रमश: हो ची मिन्ह सिटी, कैन थो, चाऊ डॉक, नोम फेनह और
सिम रीप में किया गया। पहले दिन का उदघाटन सत्र भारतीय महावाणिज्य दूतावास (वियतनाम), परिकल्पना (भारत) और इंडियन बिजनेस चैंबर इन वियतनाम के संयुक्त तत्त्वावधान में दिनांक 26 मई को कलब हाउस हो ची मिन्ह
सिटी में आयोजित किए गए। दूसरे दिन का कार्यक्रम एलीओस सभागार हो ची मिन्ह सिटी
में आयोजित हुआ जिसके प्रयोजक थे परिकल्पना (भारत) और इंडियन बिजनेस चैंबर इन वियतनाम। इसी प्रकार लघुकथा और हाइकू पर
केन्द्रित कार्यक्रम सैम सीएम रीप सभागार सीम रीप कंबोडिया में तथा समापन इकोटेल
सभागार बैंकॉक में हुआ, जिसके प्रयोजक थे परिकल्पना (भारत) और माधवी फाउंडेशन।
आठ दिनों तक चले इस उत्सव में कार्यवाहक प्रधान
कौन्सुल द्वारा उदघाटन उद्वोधन, भारतीय अध्ययन विभाग, सामाजिक विज्ञान
और मानविकी विश्वविद्यालय वियतनाम के छात्रों द्वारा नृत्य प्रदर्शन, लखनऊ से प्रकाशित परिकल्पना समय मासिक पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ. रवीन्द्र
प्रभात का उद्वोधन, 21 हिन्दी पुस्तकों का विमोचन, जिसमें प्रमुख थी हिन्दी समाचार पत्रों पर वैश्वीकरण का प्रभावः डॉ. अलका
चैधरी, जीवन गीत और माटी (काव्य संग्रह): डॉ.
रमाकांत तिवारी ‘‘रामिल‘‘, बूंद बूंद से घट भरे: डॉ. सुषमा सिंह, मुखर मौन: राम किशोर मेहता, शिवसागर दोहावली: शिव सागर शर्मा, नदी को बहने दो (काव्य संग्रह) एवं खोलो द्वार सफलता के (निबंध)ः डॉ. मीना
गुप्ता, विन्यास: डॉ. चम्पा श्रीवास्तव, ड्रेस, ड्रिंक, फूड मेड हिस्ट्रीः डॉ. अनीता श्रीवास्तव, ओढ़ी हुयी मुस्कान: डॉ. रेखा कक्कड़,
इंद्रधनुष जीवन
के और मरुस्थल का संगीत (काव्य संग्रह): डॉ. प्रभा गुप्ता, डॉ. ओंकारनाथ द्विवेदी द्वारा संपादित अभिदेशक पत्रिका का चौथे अंक, शीला पाण्डेय द्वारा संपादित साहित्यगंधा पत्रिका का महिला नवगीतकर विशेषांक,परों को तोल (नवगीत) एवं समय के घेरे (निबंध): शीला पाण्डेय, रवीन्द्र प्रभात द्वारा संपादित
परिकल्पना समय (हिन्दी मासिक) का मई अंक, सत्या सिंह का काव्य संग्रह ‘‘मेरी अग्निवीणा‘‘, डॉ. अमोल रॉय की पुस्तक ‘‘लोकजीवन में संस्कार और संस्कार गीत‘‘
तथा डॉ. सतीश
चन्द्र शर्मा ‘‘सुधांशु‘‘ की पुस्तक ‘‘मिथिलेश दीक्षित का काव्य चिंतन एवं
विमर्श‘‘। इसके अलावा भारतीय टेलीविजन की चर्चित
कलाकार डॉ. प्रतिमा वर्मा (इलाहावाद),
राजीवा प्रकाश
एवं कुसुम वर्मा (लखनऊ) द्वारा मंचित नाटक की प्रस्तुति, श्रीमती साधना सक्सेना, भारतीय हिन्दी शिक्षक, भारतीय अध्ययन विभाग,सामाजिक विज्ञान और मानविकी
विश्वविद्यालय के द्वारा वियतनाम में हिन्दी प्रचार-प्रसार गतिविधियों पर टिप्पणी, अवधी लोकगायिका श्री मती कुसुम वर्मा के द्वारा लोकगायन व नृत्य की प्रस्तुति
तथा वियतनाम में हिन्दी पढ़ रहे छात्रों से विशेष संवाद भी किया गया।
इसके अलावा श्री मती कुसुम वर्मा (लखनऊ) तथा डॉ. रेखा कक्कड़
(आगरा) की कला प्रदर्शनियों के साथ-साथ श्री मती आभा प्रकाश (लखनऊ) की एम्ब्रायडरी
कला और पुस्तक प्रदर्शनियों के लोकार्पण के साथ-साथ डॉ राम बहादुर मिश्र और श्री
मती कुसुम वर्मा को परिकल्पना का अंतरराष्ट्रीय शीर्ष उत्सव सम्मान एवं भारतीय मूल
की वियतनामी हिन्दी सेवी श्री मती साधना सक्सेना एवं वियतनामी मूल के हिन्दी सेवी
फेन दिन हयूयांग को परिकल्पना सम्मान प्रदान किए गए। वहीं भारत से पधारे 55
साहित्यकारों का ‘‘परिकल्पना‘‘ द्वारा,
चार
साहित्यकारों का ‘‘माधवी फाउंडेशन‘‘ के द्वारा, ‘‘रेयान मंच‘‘ की ओर से चार साहित्यकारों का तथा साहित्यिक संस्था ‘‘साहित्य धारा‘‘ द्वारा पाँच साहित्यकारों का सारस्वत
सम्मान भी किया गया। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश की संस्था अवध भारती संस्थान की
ओर से रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में चार साहित्यकारों का सम्मान किया गया। साथ
ही कई शहरों में परिचर्चा सत्र और कवि सम्मेलन भी आयोजित हुये।
इस अवसर पर परिकल्पना समय के प्रधान
संपादक डॉ रवीन्द्र प्रभात ने कहा कि "हमारी आने वाली पीढ़ी इस सुगन्धित वातावरण
से गुलज़ार रहेगी। विश्व के सभी देशों में चाहे वह अमेरिका हो या अफ्रीका, क्षेत्रीय लोकभाषाओं की मृत्यु के भयानक आँकड़े मिलते हैं। इन्हीं सब घटनाओं ने मुझे हिन्दी उत्सव के आयोजन को एक मूर्त रूप देने की सार्थक दिशा दी। यह ग्यारहवाँ हिन्दी उत्सव हिन्दी भाषा को और समृद्ध करने की रचनात्मक पहल
है। हम चाहते हैं कि हिन्दी भाषी समाज के साथ-साथ ही आप भारतीय भाषाओं के साथ भी
जुड़ें और भाषायी विकास को रोशन करें।"
वियतनाम में भारत के प्रधान कौंसुल श्री जे सी कंदपाल ने कहा, कि " यह हिन्दी उत्सव भाषा और
साहित्य की तकनीकी प्रगति को समर्पित है। हिन्दी उत्सव वह स्थान है जहाँ हम हिन्दी के प्रति अपनी
प्रतिबद्धताओं का प्रदर्शन करते हैं, बिना किसी प्रकार का संकोच किये। और यह
स्थान वह भी है जहाँ से हम हिन्दी भाषा और साहित्य से गैर हिन्दी भाषियों को
अवगत कराते है।"
वियतनाम में भारतीय व्यापार कक्ष के उपाध्यक्ष श्री मुनिश
गुप्ता ने कहा कि "हिन्दी उत्सव के आयोजन के माध्यम से हम वियतनाम की सक्रिय संस्थाओं को एक मंचप्रदान करने जा रहे हैं। इस
आयोजन से यहाँ के हिन्दी लेखकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रेरणा और मनोबल मिलेगा। वियतनाम में हिन्दी उत्सव का आयोजन विभिन्न शहरों में हो रहा है जिससे हम अधिक से अधिक
लोगों तक पहुँच सकें और हिन्दी का व्यापक प्रचार कर
सकें।"
वियतनाम में हिन्दी प्रचार-प्रसार गतिविधियों पर टिप्पणी के क्रम में भारतीय मूल
की वियतनामी हिन्दी सेवी एवं भारतीय अध्ययन विभाग,सामाजिक विज्ञान और मानविकी
विश्वविद्यालय हो ची मिनह सिटी वियतनाम की हिन्दी विभागाध्यक्ष श्री मती साधना सक्सेना ने कहा कि " हिन्दी विश्व की एक प्रमुख भाषा है और जब मैं वियतनाम में हिन्दी के शब्दकोश की रचना कर रही थी, तो मेरे ही एक शिष्य फेन दीन्ह ने मुझे सहयोग दिया और हम दोनों ने मिलकर अथक प्रयास के बाद इस शब्दकोश को प्रकाशित करने में सफलता पायी।
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