रविवार ९ जनवरी २०११ का दिन हिंदी ब्लोगिंग के सम्मेलनीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है। इस दिन खटीमा (उत्तराखंड) में हिंदी ब्लोगरों के सम्मलेन का जीवंत प्रसारण इंटरनेट के जरिए पूरे विश्व में सफलतापूर्वक विभिन्न एग्रीगेटर्स, खासकर ब्लॉगप्रहरी (दिल्ली), सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक,ट्विटर, गूगल-बज्ज आदि के जरिये किया गया।
हिंदी ब्लोगिंग के सम्मेलनीय स्वरुप को चहुं ओर सकारात्मकता के साथ प्रसारित करने वाले चर्चित ब्लॉ्ग नुक्कड़ के मॉडरेटर और ब्लॉरगर, साहित्यकार, व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति ने जबलपुर के मशहूर ब्लोगर गिरीश बिल्लोरे ‘मुकुल’ के साथ मिलकर इन स्वर्णिम पलों को पूरे विश्व में प्रसारित करके ऐतिहासिक बना दिया है। इससे साबित होता है कि धुन के धनी जब चाहते हैं तो प्रत्येक परिस्थिति को अपने अनुकूल बना नेक कार्यों को सर्वोत्तम अंजाम तक पहुंचा देते हैं।
इस अवसर पर साहित्य शारदा मंच के तत्वा वधान में उत्तराखंड स्थित खटीमा के ब्लॉ्गर, कवि डॉ. रूप चन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की दो पुस्तकें क्रमश: सुख का सूरज और नन्हें सुमन का लोकार्पण डॉ. इन्द्रराम, सेवानिवृत्त प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर के कर कमलों द्वारा किया गया ।इस अवसर पर बहुचर्चित व्यंग्यकार/चिट्ठाकार श्री अविनाश वाचस्पसति मुख्य अतिथि रहे तथा विशिष्ट अतिथि रहे हिंदी के प्रमुख ब्लॉग विश्लेषक श्री रवीन्द्र प्रभात ।
एक साथ कई पायदानों पर सफलतापूर्वक सफर करने वाले श्री अविनाश वाचस्पति और गिरीश बिल्लोरे के इस कारनामे को, हिंदी ब्लॉगिंग विधा के चितेरे करोड़ों दर्शकों ने लगातार ६ घंटे तक इस जीवंत प्रसारण का भरपूर आनंद लिया और इस महत्वपूर्ण पलों के साक्षी बनी पूरी दुनिया ।
उल्लेयखनीय है कि इसका जीवंत प्रसारण अब भी -
http://bambuser.com/channel/girishbillore/broadcast/१३१३२५९ पर देखा जा रहा है ।
इस अवसर पर खटीमा में मौजूद रहे, हिंदी के प्रमुख ब्लॉग विश्लेषक और साहित्यकार तथा लखनऊ ब्लोगर असोसिएशन के अध्यक्ष सर्वश्री रवींद्र प्रभात (परिकल्पना) , दिल्ली के पवन चंदन (चौखट) , राजीव तनेजा (हंसते रहो) , धर्मशाला के केवलराम (चलते चलते), बाराबंकी के रणधीर सिंह सुमन (लोकसंघर्ष) , खटीमा के रावेन्द्र कुमार रवि, डॉ. सिद्धेश्वार सिंह और आसपास के क्षेत्रों यथा बरेली, पीलीभीत, हल्द्वातनी इत्यादि के साथ साथ कतिपय साहित्यकार कवि, प्रोफेसरों और हिन्दी ब्लॉ गजगत के प्रेमियों सोहन लाल मधुप, बेतिया से मनोज कुमार पाण्डेय (मंगलायतन) ,शिवशंकर यजुर्वेदी, किच्छा से नबी अहमद मंसूरी, लालकुऑ (नैनीताल) से श्रीमती आशा शैली हिमांचली, आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट, रामनगर (नैनीताल) से सगीर अशरफ, जमीला सगीर, टनकपुर से रामदेव आर्य, चक्रधरपति त्रिपाठी, पीलीभीत से श्री देवदत्त प्रसून, अविनाश मिश्र, डॉ. अशोक शर्मा, लखीमपुर खीरी से डॉ. सुनील दत्त, बाराबंकी से अब्दुल मुईद, पन्तनगर से लालबुटी प्रजापति, सतीश चन्द्र, मेढ़ाईलाल, रंगलाल प्रजापति, नानकमता से जवाहर लाल, सरदार स्वर्ण सिंह, खटीमा से सतपाल बत्रा, पी. एन. सक्सेना, डॉ. गंगाधर राय, सतीश चन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार टण्डन आदि उल्लेखनीय हैं।
कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।
प्रेषक : नुक्कड़ संपादकीय टीम।
कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।
प्रेषक : नुक्कड़ संपादकीय टीम।
13 टिप्पणियाँ:
शानदार....
नि:संदेह गिरीश जी और अविनाश जी इस समारोह में तकनीकी की नयी मिसाल कायम की है, इन्हें कोटिश: शुभकामनाएं !
मैं तो ब्लॉगजगत का नन्हा ब्लोगर हूँ , किन्तु अपने को पहली बार इस समारोह में आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी जैसे व्यक्तित्व के आकर्षण में विल्कुल वेसुद्ध खोया हुआ पाया !
रवीन्द्र जी के बारे में जितना सुना था उससे कहीं ज्यादा विनम्र, सहृदय, आत्मीय, मृदुभाषी और आदर्श व्यक्तित्व के धनी हैं वे ! कार्यक्रम के दौरान जिसप्रकार हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में ब्लोगिंग की भूमिका विषय पर उन्होंने लगभग आधे घंटे बोला और वहां बैठे श्रोता मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे सबकी जुबान से बस यही फूट रहा था कि यार हिंदी ब्लोगिंग में ऐसे भी लोग हैं, विल्कुल इनसाक्लोपीडिया !
मेरी तो ब्लोगिंग सार्थक हो गयी आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी, अविनाश जी, सुमन जी, राजीव तनेजा जी, पद्म सिंह जी, केवल राम जी, शास्त्री जी जैसे प्रबुद्ध ब्लोगरों के सानिध्य का सुख पाकर !
कार्यक्रम की की सुन्दर रपट लगाने के लिए आपका आभार!
आपके साथ गुजारे क्षण मेरे लिए अविस्मरणीय रहेंगे!
रविन्द्र जी , अविनाश जी , गिरीश जी को बधाई।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि तक पहुँचने के अविस्मरणीय अवसर पर श्री अविनाशजी वाचस्पति सहित उनकी पूरी टीम को हार्दिक बधाईयां...
हम इसे जीवन्त ही देखना चाहते थे पर लिंक ने काम ही नहीं किया। कीर्तिमान और एक नया आरंभ तो है ही। निश्चित रूप से यह लोगों के बीच दूरियों को और कम करेगा।
शानदार...!
सदा जीवंत रहेगा दिनेश जी।
आप अब भी देख सकते हैं
http://bambuser.com/channel/girishbillore/broadcast/%E0%A5%A7%E0%A5%A9%E0%A5%A7%E0%A5%A9%E0%A5%A8%E0%A5%AB%E0%A5%AF
कभी ना भुलाए सकने वाले पल मेरी मधुर स्मृति में कैद हो चुके हैं
nice
कार्यक्रम की विस्तृत रपट पहुंचाने का शुक्रिया।
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कावेरी भूत और उसका परिवार।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।
प्रिय,
भारतीय ब्लॉग अग्रीगेटरों की दुर्दशा को देखते हुए, हमने एक ब्लॉग अग्रीगेटर बनाया है| आप अपना ब्लॉग सम्मिलित कर के इसके विकास में योगदान दें - धन्यवाद|
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karykram ka aisa sajeev vivaran ki aankhon ke samne jaise aagaya dhanyvad
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