ब्रजराजनगर । दिनांक 29.12.13 की शाम 7 बजे के लगभग को बेलपहाड़ रेल-क्रॉसिंग को अपनी मोटर-साइकिल ले जाते हुए पार करते समय ट्रेन की चपेट में आ जाने से ओडिया भाषा के विख्यात लेखक जगदीश मोहंती का निधन हो गया । एक वर्ष पूर्व ही वे महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड की ओडिशा के झारसुगुडा जिले के ब्रजराजनगर में स्थित रामपुर कोलियरी के चिकित्सा विभाग से सेवा-निवृत हुए थे ।उनका जन्म सन 1951 में उत्तर ओडिशा के लौह खदान वाले क्षेत्र में हुआ था । उन्होने जीवन के तीस साल से ज्यादा समय पश्चिमी ओड़िशा के कोयलांचल में बिताया । ओड़िया साहित्य में “ट्रेंड-सेटर” के रूप में जाने वाले इस विख्यात कथाकार की कहानियों का दौर सत्तर के दशक से शुरू हुआ । 

उन्हें ओड़िया कहानियों के कथ्य,भाषा-शैली तथा प्रयोग में आमूल परिवर्तन के जनक के रूप में जाना जाता है । वे लाइफ एचिवमेंट अवार्ड के अतिरिक्त विभिन्न पुरस्कारों जैसे सारला पुरस्कार (ओड़िया साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ) , ओड़िया साहित्य अकादेमी पुरस्कार ,झंकार अवार्ड ,धरित्री अवार्ड और प्रजातन्त्र पुरस्कार से नवाजा गया था । उनकी प्रमुख प्रकाशित औपन्यासिक कृतियाँ कनिष्क कनिष्का,निज निज पानीपथा,उत्तराधिकार,दुर्दिन,अदृश्य सकाल हैं तथा मुख्य कहानी-संग्रह एकाकी,अश्वारोही,दक्षिण दुआरी घर ,इर्षा एक ऋतु , एल्बम ,सुना इलिशी,सुंदरतम पाप,युद्ध क्षेत्रे एका , मेफेस्टोफ़ेलेस र पृथ्वी,बीज बृक्ष छाया और सतुरीर जगदीश है । 

उनकी कहानियाँ आप ब्लॉग jagdishmohantystories.blogspot.com तथा गद्य-कोश पर देख सकते हैं । ओड़िया साहित्य जगत में वे एक देदीप्यमान नक्षत्र की तरह थे, उनकी आकस्मिक मृत्यु से ओड़िया साहित्य को भारी क्षति पहुंची है । न केवल ओड़िया साहित्यकारों में वरन देश-विदेश के विभिन्न भाषायी साहित्यकारों में उनके मौत की खबर मिलते ही शोक की लहर फैल गई हैं । भगवान उस महान साहित्यकार की आत्मा को शांति प्रदान करें । ज्ञात हो , जगदीश मोहंती ओड़िया तथा अँग्रेजी भाषा की अंतर-राष्ट्रीय स्तर की लेखिका डॉ सरोजिनी साहू के पति थे ।

(दिनेश कुमार माली की रपट)

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